कश्मीर घाटी के सिख समाज को आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर मज़बूती देना राष्ट्रहित में अति आवयश्यक है - एडवोकेट नीतू बाली
byStaff-0
श्रीनगर: कश्मीरी सिख समाज और महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर सामाजिक उद्यमी और लेखिका एडवोकेटनीतू कौर बाली ने एक महत्वपूर्ण संबोधन दिया।
इस आयोजन में लेफ्टिनेंट जनरल आरएस रीन,गेस्ट ऑफ ऑनर हरविंदर कौर सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का आयोजन कश्मीरी सिख संगत द्वारा जम्मू और कश्मीर कला, संस्कृति और भाषा अकादमी के सहयोग से किया गया था।
कश्मीरी सिख समाज की चुनौतियाँ और समाधान
नीतू कौर बाली ने अपने संबोधन में कहा कि कश्मीरी सिखों ने 1947 में कबायलियों से लड़ाई से लेकर आज तक भारतीय रक्षा तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके बावजूद यह समाज कई चुनौतियों से जूझ रहा है—
✔ युवाओं में बेरोजगारी और आर्थिक अस्थिरता
✔ बुजुर्गों में सामाजिक असुरक्षा
✔ ड्रग्स का बढ़ता प्रचलन और पारिवारिक विघटन (तलाक रेट का बढ़ना)
✔ राजनीतिक प्रतिनिधित्व की कमी
महिलाओं की भूमिका और सुधार के लिए आवश्यक कदम
नीतू बाली ने कहा कि "जब बेटियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और आर्थिक अवसर मिलते हैं, तो वे परिवर्तन की वाहक बनती हैं।" उन्होंने उदाहरण दिए कि कैसे अमूल और लिज्जत पापड़ जैसी संस्थाओं ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया। उन्होंने आगे कहा कि हमारी इतिहास की महान विभूतियाँ जैसे माता साहिब कौर जी, माता खीवी जी, बीबी भानी जी, बीबी अमरो जी भी सशक्त नारीत्व का प्रतीक थीं और उन्होंने समाज को दिशा देने का कार्य किया।
एडवोकेटनीतू कौर बाली इन सुधारों की सिफारिश की—
✅ सिख समाज के लिए व्यापक जनगणना ताकि उनकी विशेष जरूरतें समझी जा सकें।
✅ महिलाओं को सरकारी योजनाओं से जोड़ना जैसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, स्टैंड अप इंडिया, मिशन शक्ति, सुकन्या समृद्धि योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, महिला शक्ति केंद्र आदि।
✅ रोज़गार के अवसर बढ़ाने के लिए स्टार्टअप्स, कृषि, बागवानी, केसर और लैवेंडर उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करना।
✅ नशा मुक्ति केंद्रों और परामर्श सेवाओं को बढ़ावा देना।
✅ पंजाबी भाषा को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने के लिए प्रयास करना।
कश्मीरी सिखों के अधिकारों की माँग
एडवोकेट नीतू कौर बाली ने कहा कि अब समय आ गया है कि गैर-प्रवासी कश्मीरी सिखों को भी SRO-412 के तहत शामिल किया जाए ताकि उन्हें भी विशेष रोजगार पैकेज मिल सके। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की भी माँग की, जिससे सिख समाज को उनके हक के लाभ मिल सकें।
"सशक्त महिलाएँ, सशक्त समाज"
अपने संबोधन के अंत में, नीतू कौर बाली ने गुरु नानक देव जी के वचन दोहराए—
"सो क्यों मंदा आखिए, जित जम्मे राजान", अर्थात् जिस स्त्री के गर्भ से राजा जन्म लेता है, उसे कमजोर क्यों समझा जाए।
उन्होंने सभी से एकजुट होकर महिलाओं और पूरे सिख समाज के उत्थान के लिए काम करने की अपील की।
Post a Comment