कृष्ण गंगा नदी के तट पर गूंजती आरती, माँ शारदा मंदिर बना आस्था और पर्यटन का केंद्र

कृष्ण गंगा नदी के तट पर गूंजती आरती, माँ शारदा मंदिर बना आस्था और पर्यटन का केंद्र

कुपवाड़ा, कश्मीर (✍️Lieutenant. Preeti Mohan): नियंत्रण रेखा (LoC) के करीब स्थित कुपवाड़ा जिले के टीटवाल गांव में माँ शारदा मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र बन चुका है, बल्कि यह बॉर्डर टूरिज्म का भी प्रमुख आकर्षण बन रहा है। यह मंदिर पवित्र कृष्ण गंगा नदी के तट पर स्थित है, जहां से महज 50 मीटर की दूरी पर पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) का दृश्य देखा जा सकता है।

हाल ही में, कृष्ण गंगा नदी के तट पर आयोजित आरती में सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए। इस आयोजन के दौरान मंदिर परिसर में भक्तों के जयकारों और भक्ति गीतों की गूंज सुनाई दी। दिलचस्प बात यह रही कि नदी के उस पार, PoJK की ओर से भी बड़ी संख्या में लोग भारतीय श्रद्धालुओं का अभिवादन करते हुए नजर आए।

धार्मिक और बॉर्डर टूरिज्म का नया केंद्र

पिछले दो वर्षों में यह क्षेत्र धार्मिक पर्यटन और बॉर्डर टूरिज्म के लिए कश्मीर घाटी का सबसे लोकप्रिय स्थान बन गया है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक, दोनों, यहाँ की आध्यात्मिक ऊर्जा और प्राकृतिक सौंदर्य से मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।

संस्कृति और भाषा की एकता

कृष्ण गंगा नदी के दोनों ओर बसे जिलों में "हिन्दको" बोली जाती है, जो पंजाबी भाषा की एक उपबोली मानी जाती है। यह इस क्षेत्र की सांस्कृतिक और भाषाई एकता को दर्शाती है।

माँ शारदा मंदिर का पुनर्निर्माण और यहाँ बढ़ती पर्यटकों की संख्या यह साबित करती है कि यह स्थल न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह भारत-पाकिस्तान के लोगों के बीच भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक भी बन रहा है।

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