✍️Lieutenant. Preeti Mohan
भारत और पाकिस्तान के बीच भले ही राजनीतिक तनाव और सीमाओं की दीवारें हों, लेकिन दिलों को जोड़ने का काम अक्सर कला और संस्कृति करती है। खासकर पंजाबी कलाकारों ने दोनों देशों की जनता के बीच एक ऐसा सांस्कृतिक पुल बनाया है, जो सरहदों से परे जाकर दिलों को छूता है।
साझा संस्कृति, साझा जड़ें
पंजाब, जो विभाजन से पहले एक अखंड सांस्कृतिक इकाई था, आज भारत और पाकिस्तान दोनों का हिस्सा है। यहां की भाषा, खान-पान, संगीत, और भावनाएं एक जैसी हैं। जब कोई पंजाबी गायक ‘साड्डा हक’ या ‘बेखयाली’ जैसे गीत गाता है, तो उसकी गूंज लाहौर से लेकर लुधियाना तक एक सी लगती है। उसी तरह जब पाकिस्तान के कलाकार जैसे राहत फतेह अली खान या अली ज़फ़र गाते हैं, तो भारत के पंजाबी दर्शक भी उसे उतना ही प्यार देते हैं।
संगीत: दिलों की जुबान
रहमान, गुरदास मान, दिलजीत दोसांझ, सिद्धू मूसे वाला, बोहेमिया, अली सेठी, आतिफ असलम, नुसरत फतेह अली खान जैसे कलाकारों का संगीत दोनों मुल्कों में सुना और सराहा जाता है। इनकी आवाज़ें सीमाओं से परे जाकर उन जज़्बातों को छूती हैं, जो हर पंजाबी दिल में बसते हैं। चाहे वह इश्क हो, बिछोह हो या जश्न – इन गीतों में हर भाव की गहराई होती है।
डिजिटल युग में नई संभावनाएं
सोशल मीडिया और यूट्यूब जैसे प्लेटफ़ॉर्म ने इस सांस्कृतिक आदान-प्रदान को और भी आसान बना दिया है। अब एक पाकिस्तानी कलाकार का गीत भारत में रातों-रात वायरल हो सकता है, और एक भारतीय पंजाबी रैपर पाकिस्तान के युवाओं के बीच ट्रेंड बन सकता है। इन प्लेटफॉर्म्स ने उस दीवार को और कमजोर किया है जो 1947 में खड़ी की गई थी।
सहयोग की मिसालें
हाल ही में कई ऐसे उदाहरण सामने आए हैं जहाँ भारत और पाकिस्तान के पंजाबी कलाकारों ने सहयोग किया। 'कोक स्टूडियो' पाकिस्तान में बना एक म्यूज़िकल शो है जिसे भारत में भी खूब पसंद किया जाता है। वहीं भारत में बने कुछ पंजाबी एल्बम्स और फिल्में पाकिस्तान में भी लोकप्रिय हैं। संगीत के इन मेलजोल से ये स्पष्ट होता है कि कलाकार राजनीति से ऊपर उठकर केवल भावना और सौंदर्य के लिए काम करते हैं।
निष्कर्ष
पंजाबी कलाकार वो सेतु हैं, जो भारत और पाकिस्तान की अवाम को जोड़ते हैं। ये कलाकार हमें यह याद दिलाते हैं कि सरहदें चाहे नक्शे पर हों, लेकिन दिलों में नहीं। संगीत, कला और संस्कृति की यह साझी विरासत हमें नफरत नहीं, मोहब्बत सिखाती है। आने वाले समय में भी उम्मीद की जाती है कि यह सांस्कृतिक पुल और मजबूत होगा और दोनों देशों के बीच इंसानियत की आवाज़ गूंजती रहेगी।
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