कारगिल विजय दिवस पर शहीद कश्मीरियों के परिजनों को किया गया सम्मानित

सेना और अर्धसैनिक बलों में सेवा देते हुए शहीद हुए कश्मीरी मुस्लिम जवानों की महिलाओं को 'वीर नारी सम्मान' से सम्मानित किया गया। यह सम्मान कारगिल विजय दिवस के अवसर पर आयोजित विशेष समारोह में प्रदान किया गया। कार्यक्रम का शीर्षक था — "भारत की झेलम, झोलम का भारत।"
बारामुला के विडीपुरा आर्मी कैंप में एक ऐसा समारोह आयोजित हुआ, जिसमें भावनाओं की गहराई और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिला। खाकी एसोसिएशन द्वारा आयोजित ‘वीर नारी सम्मान’ एक अत्यंत गंभीर और गरिमामय अवसर था — उन महिलाओं को नमन करने हेतु, जिनके पति या बेटे राष्ट्र की सेवा में अपने प्राण अर्पित कर चुके हैं। यह आयोजन उन परिवारों की मौन सहनशक्ति और त्याग की याद दिलाता है, जो अक्सर पर्दे के पीछे रहते हैं, परंतु देशभक्ति की आत्मा से गहराई से जुड़े होते हैं।
कार्यक्रम का शुभारंभ सुबह 9 बजे हुआ। वीर नारियों और उनके परिवारों का उत्साहपूर्वक स्वागत किया गया। सैनिकों और नागरिकों की उपस्थिति में वातावरण श्रद्धा और सांत्वना से भर उठा। स्थानीय बच्चों ने समारोह की शुरुआत एक शांत सांस्कृतिक प्रस्तुति से की, जिसमें उन्होंने राष्ट्रगान गाकर और सैनिकों को सलामी देकर राष्ट्र के रक्षकों को नमन किया।
प्रत्येक वीर नारी को एक राजसी शॉल और सुंदर ढंग से निर्मित एक स्मृति-चिह्न प्रदान किया गया। ये प्रतीकात्मक भेंटें केवल शहीदों के साहस को ही नहीं, बल्कि उनके पीछे छोड़े गए परिवारों की मौन सहनशीलता और आंतरिक शक्ति को भी सम्मानित करने का भाव रखती थीं। जब हर नारी मंच पर सम्मान प्राप्त करने पहुंचती, तो सारा पंडाल एक गहरी भावनात्मक खामोशी में डूब जाता — गर्व, पीड़ा और अटूट संकल्प के साथ।
इसके पश्चात एक ऑडियो-विज़ुअल प्रस्तुति दी गई, जिसमें सेवा और बलिदान की कहानियों को अत्यंत संवेदनशीलता से दर्शाया गया। चित्रों, संगीत और स्मृतियों के माध्यम से यह प्रस्तुति हर उस नाम की याद को जीवंत करती रही, जिसके पीछे एक परिवार है, जो उस विरासत का भार आज भी पूरे गर्व के साथ संभाले हुए है।
खाकी एसोसिएशन, जो भारतीय सशस्त्र बलों और उनके परिवारों के कल्याण हेतु अपनी निष्ठा के लिए जानी जाती है, ने इस कार्यक्रम के प्रत्येक पहलू को अत्यंत सावधानी और करुणा के साथ आयोजित किया। सम्मान चिह्नों के चयन से लेकर सभी मेहमानों के आतिथ्य तक — हर क्षण में आभार की भावना झलक रही थी।
समारोह का समापन सामूहिक मौन के साथ हुआ, जिसके बाद ‘ऐ वतन’ की आत्मा को स्पर्श करती धुन गूंज उठी। यह क्षण दर्शकों को भावुक कर गया। बारामुला की शीतल हवा में जब यह संगीत बहने लगा, तो यह एक कोमल आश्वासन बन गया — कि जो देश के लिए शहीद हुए, उन्हें कभी भुलाया नहीं जाएगा।
इन वीर नारियों की शांत उपस्थिति में राष्ट्र को सच्चे साहस की झलक मिलती है — वह साहस जो केवल रणभूमि में नहीं, बल्कि उन दिलों में भी बसता है जो अपने प्रियजनों की विरासत को गर्व, सम्मान और अटूट निष्ठा के साथ आगे बढ़ाते हैं।